Description
उपनिषदों को भारतीय मनीषियों ने तो श्रुति कह कर सर्वोपरि स्थान दिया ही है, पश्चिम के विद्वानों ने भी उपनिषदों को ‘जीवन और मृत्यु में शान्ति देने वाला’ (शोपेनहावर), ‘दर्शन के क्षेत्र में अतुलनीय’ (पॉल ड्यूसन), ‘मानवीय चिन्तन के इतिहास में पूर्णता की इदम्प्रथमतया यथार्थ अभिव्यक्ति करने वाला’ (मैकडॉनेल), ‘ऐसे गम्भीर सत्यों का पता देने वाला जहाँ यूरोपीय प्रतिभा रुक जाती है’ (विक्टर कजिन्स्) तथा ‘प्रकाश पुञ्ज’ (फ्रेडरिक श्लेगेल) बताया है। – उपनिषद् का मुख्य लक्ष्य उस अज्ञान की निवृत्ति है जो दुःख का मूल कारण है। अज्ञान-निवृत्ति से निष्पन्न ज्ञान सारे सुख का मूल स्रोत है। उपनिषद् उसी ज्ञान का विवेचन करने के कारण ज्ञानकाण्ड का मेरुदण्ड माने जाते हैं। प्रस्तुत ग्रन्थ में उस ज्ञान की प्राप्ति का उपाय सुगम-सरल शैली में सप्रमाण बताया गया है। प्रस्तुत ग्रन्थ में राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत तथा शिखर सम्मान से सम्मानित महामहोपाध्याय आचार्य दयानन्द भार्गव ने ६ अध्यायों के अन्तर्गत ६५ विषयों का ५५० शीर्षकों में ७०० से अधिक मूलस्रोतों के सन्दर्भों के आधार पर उपनिषदों का प्रामाणिक विवेचन प्रस्तुत किया है।
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