Description
वर्तमान युग की युवा पीढ़ी अपनी पहचान के प्रति सजग है। वह बौद्धिक उत्कर्ष के लिए तर्क और जिज्ञासा की उपादेयता से भी परिचित है। यही कारण है कि एक ओर वह सुदूर तक फैली और नित्य प्रति पल्लवित होती हुई शाखाओं को खुली दृष्टि से निहारती है, तो दूसरी ओर चारों ओर बिखरी और गहराई में धंसी जड़ों की तह तक जाना चाहती है। शाखाएँ उसका भविष्य हैं तो जड़ें अतीत। दोनों के सम्यक् आकलन से ही वर्तमान का पूर्ण विकास होता । अतः स्वयं से सुपरिचित होने के लिए सर्वाङ्गीण दृष्टिकोण की आवश्यकता है। दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रों के लिए पिछले वर्षों से कुछ नये पाठ्यक्रम प्रारम्भ किये गये हैं, उनमें से बी०ए० आनर्स का कन्करेण्ट कोर्स ‘राष्ट्रीयता एवं भारतीय साहित्य’ इसी उद्देश्य की पूर्ति में एक प्रयास है। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य विभिन्न विषयों के छात्रों को भारतवर्ष की एकता एवं प्राचीन तथा अर्वाचीन राष्ट्रीयता के स्वरूप और भारतीय साहित्य में उसके विकास के प्रतिफलन से परिचित कराना है।
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