Description
स्वयं के अनुभव और प्रामाणिक महर्षियों के वचनों से लेखक ने पाया कि न केवल योग ही स्वयं में पूर्ण है अपितु उसके सभी अंग भी अपने आप में संपूर्ण हैं। ‘आसन प्राणायाम मुद्रा बन्ध इस पुस्तक में इन चारों अंगों पर विशेष रूप से प्रकाश डाला गया है। लेखक ने इस पुस्तक में बताया है कि आसनों के माध्यम से शारीरिक, प्राणायाम के माध्यम से प्राणिक, मुद्राओं के माध्यम से मानसिक और बन्धों के अभ्यास से ऐन्द्रिक विजय किस प्रकार प्राप्त किया जा सकता है। सभी विषय प्रामाणिक ग्रंथों के अध्ययन और गहन अनुसंधान के पश्चात् आपके समक्ष पुस्तक के रूप में प्रस्तुत किये गये हैं। यह पुस्तक योग विद्यार्थियों, जिन्हे योग विषय में प्रतियोगी परीक्षाओं (UGC-NET, QCI, YCB इत्यादि) में सम्मिलित होना है, उनके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण सिद्ध होगी। साथ ही साथ सामान्य जन भी इस पुस्तक का संपूर्ण लाभ ले सकते हैं।
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