Description
विगत दशक में राजनीतिक तथा धार्मिक पटल पर बदलते मानवीय संदभों में एक नई प्रजाति के उदय के साथ, एक नए शब्द का अवतरण हुआ जिसको सम्पूर्ण विश्व में ‘अंधभक्त’ कहा गया। ‘अंधभक्त’ शब्द का उपयोग अक्सर नकारात्मक संदर्भ में किया जाता है और इसमें व्यक्ति की आलोचनात्मक सोच की कमी और अनावश्यक एवं कट्टर विश्वास पर जोर दिया जाता है। यह उन लोगों को इंगित करता है जो बिना सोचे-समझे और बिना किसी तर्क के किसी धार्मिक अथवा राजनैतिक व्यक्ति अथवा समूह के प्रति समर्पित होते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख बिंदु हैं जो ‘अंधभक्त’ की परिभाषा और विशेषताओं को स्पष्ट करते हैं।
अंधभक्त अपने समर्थन में तार्किकता या विवेक का इस्तेमाल नहीं करते। वे अपने राजनैतिक अथवा धार्मिक नेता या विचारधारा की सभी बातों को बिना किसी प्रश्न के मान लेते हैं। अंधभक्त किसी भी प्रकार की आलोचना को बर्दाश्त नहीं करते और आलोचना करने वालों को विरोधी या दुश्मन मानते हैं। अंधभक्त अपने विश्वासों और समर्थन की सत्यता की जाँच करने के लिए स्वतंत्र रूप से जानकारी या तथ्यों की खोज नहीं करते। वे वही मानते हैं जो उनके नेता या विचारधारा के समर्थक कहते हैं। अंधभक्त अक्सर अपनी विचारधारा या नेता की रक्षा में चरम प्रतिक्रियाएँ देते हैं, चाहे वह सोशल मीडिया पर हो या व्यक्तिगत वार्तालाप में।
50 से ज्यादा अंधभक्तों एवं अंधसमर्थकों की कुंडलियों का अध्ययन करने पर, कुछ सामान्य ग्रह संयोग समस्त कुंडलियों में पाए गए। इस प्रकार इन ग्रहों का संयोजन हमारे शोध का विषय बन गया।
गुरु चांडाल योग ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण योग है, जिसके फलन का विभिन्न प्राचीन ग्रंथों में अल्प वर्णन मिलता है तथा आधुनिक पुस्तकों में भी इस पर अतिरिक्त घ्यान नहीं दिया है। हमने इस दुर्योग पर विस्तार से शोध इस पुस्तक में प्रस्तुत किया है।
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