Description
यह लघु उपन्यास खासतौर पर किशोर उम्र के पाठकों के लिए है, लेकिन बड़ी उम्र के पाठक भी इसे पढ़कर उतना ही रोमांचित होंगे जितना किशोर पाठक। यह पुस्तक जितना एक नदी के बारे में है उससे कहीं ज्यादा उस किशोर उम्र की सीता के बारे में है जो उस नदी से घिरे द्वीप पर अपने दादा-दादी के साथ रहती थी। बाढ़ के दिनों में जब नदी उफान पर थी और उसके दादा उसकी बीमार दादी का इलाज करवाने दूर एक शहर चले गए थे, सीता द्वीप पर अकेली रह गई। बाढ़ ने उसकी झोंपड़ी भी डुबो दी। वह उसका आखिरी सहारा थी। फिर वह अकेली लड़की कैसे बची, उसे किसने बचाया, क्या वह अपने दादा-दादी से फिर मिल पाई या नहीं – इस सबकी रोमांचक गाथा इस पुस्तक में है।
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