Description
कविकुलगुरू कालिदास की कृति ‘कुमारसम्भव महाकाव्य’ इसी भाषा में निबद्ध है। यह विद्वानों के मध्य सर्वत्र समादृत है। यही कारण है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में किसी न किसी रूप में इसको स्थान मिला है। विद्यार्थियों की उपयोगिता की दृष्टि से इस संस्करण में शुद्ध हिन्दी अनुवाद, व्याख्या एवं व्याकरणात्मक टिप्पणियाँ दी गई हैं। परीक्षा की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण विषयों का विवेचन भी भूमिका के अन्तर्गत किया गया है।
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