Description
जीवन का उद्देश्य भगवान के साथ एकीकरण होना चाहिए और भगवद्गीता के उपदेशों का पालन करना चाहिए। मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य ज्ञान है. ज्ञान का अर्थ है आत्मज्ञान, आत्म-साक्षात्कार। इच्छओं, आकांक्षाओं और आसक्ति से मुक्त होकर आत्मज्ञान प्राप्त करना, स्वयं को जानना, अपने कर्त्तव्यों को पहचानना, द्वंद्वों से मुक्त और आत्मस्थित होकर निष्काम कर्म करते हुए आनन्दपूर्वक जीवन जीना ही हमारे जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य है। कर्म करते रहना ही जीवन का आधार है “भाग्य को कोसते रहने से भाग्य नहीं सुधरता, भाग्य को जगाने से भाग्य सुधरता है” अर्थात् निरन्तर प्रयत्नशील रहना ही जीवन का एक मात्र उद्देश्य होना चाहिए। भगवद् गीता का उपदेश है कि मनुष्य को आध्यात्मिक और नियत कर्मों के अतिरिक्त भौतिक कार्यकाल की आकांक्षा से किए गए सभी कर्मों का त्याग करना चाहिए। सभी कर्मों को श्रीकृष्ण को अर्पित कर देना चाहिए। श्री कृष्ण के प्रति साधक का अनन्य प्रेम होना चाहिए। विनम्र भी होना चाहिए। उसमें सहिष्णुता का गुण, अहिंसक, दम्भरहित, सरल, पवित्र होना चाहिए। साधक को मन एवं तन की शुद्धि के लिए भगवान की भक्ति कीर्तन, चिन्तन करना चाहिए। मन से धैर्य धारण करना एवं अहंकार रहित होना चाहिए। भोगों से विरक्त होकर संयम से जीवन यापन करना चाहिए। सुख-दुख में समभाव रखना चाहिए।
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