Description
“पेपर-बोट” में वही कहानियां हैं जो हमारे आस-पास अक्सर घटती रहती हैं। पात्र हो या प्लॉट, आपको यही लगेगा जैसे आप इनसे पहले मिले हों या आगे चलकर मिलने वाले हों। इनमें स्कूल-टाइम का कोई दोस्त नजर आ जायेगा तो ऑफिस में काम करने वाला कोई कलीग, कोई out-of-the-box सोचने-करने वाली लड़की है तो कोई दादाजी टाइप के व्यक्ति जो तमाम परेशानियों के बावजूद छोटे बच्चे के साथ बच्चा बन जाना पसंद करते हैं। कोई नया सरकारी मुलाजिम मिलेगा तो कोई पत्रकार। आप 21वीं सदी के हलकू से भी रूबरू हो सकते हैं। किताब की भाषा भी वही है जो आप और हम लगभग रोजाना सुनते-बोलते हैं।
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