Description
भक्ति रचनाओं एवं संगीत का सम्बन्ध बहुत प्राचीन है और भक्ति रचनाओं को संगीतबद्ध करके प्रस्तुत करके प्रस्तुत करना एक अत्यन्त प्रचलित कार्य रहा है, किन्तु भक्ति रचनाओं को रागदारी संगीत में निबद्ध कर रागों की बंदिशों के रूप में प्रस्तुत करने का महती कार्य पं. विष्णु दिगम्बर पलुस्कर जी ने किया। पलुस्कर जी ने भजन गाने की एक नवीन शैली का भी अविष्कार किया जिसके अन्तर्गत प्रमुख भक्त कवियों के सुन्दर काव्यों का विभिन्न रागों में बाँधकर प्रस्तुत किया जाता है, इस प्रकार के भजन गाने की परम्परा पं. जी ने प्रारम्भ की। इस परम्परा को उनके शिष्य पं. ओमकार नाथ ठाकुर, पं. नारायण राव व्यास, पं. विनायक राव पटवर्धन और उनके सुपुत्र पं. डी.वी. पलुस्कर आदि ने आगे बढ़ाया।
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