Description
प्रस्तुत ग्रन्थ प्रो० कीथ के प्रसिद्ध ग्रन्थ A History of Sanskrit Literature का हिन्दी रूपान्तर है। विषय-विवेचन की दृष्टि से ग्रन्थकार ने संस्कृत साहित्य के इतिहास को तीन भागों में विभक्त किया है: भाग 1: भाषा भाग 2: ललित साहित्य तथा अलंकारशास्त्र भाग 3 शास्त्रीय वाङ्मय प्रथम भाग में संस्कृत, प्राकृत तथा अपभ्रंश भाषाओं के विषय में विस्तृत विवेचन है। काव्य – साहित्य का प्रारम्भ और विकास, कालिदास, भारवि आदि महाकवि दण्डी और गद्यकाव्य, पशुकथा इत्यादि द्वितीय भाग के प्रमुख अध्याय हैं। तृतीय भाग में भारतीय दर्शन, व्याकरण, धर्मशास्त्र, नीतिशास्त्र, कामशास्त्र, आयुर्वेद, ज्योतिष तथा गणितशास्त्र आदि विषयों की चर्चा की गई है। अंत में दो उपयोगी अनुक्रमणिकाएं ग्रन्थ की महत्ता को सार्थक करती है। विवेचनपूर्ण इस पुस्तक के प्रतिपादन में अथवा पाद-टिप्पणियों में आये हुए व्यक्तिगत नाम आदि को प्रायः इंग्लिश लिपि में ही रहने दिया है, ताकि उनके यथार्थ स्वरूप संबन्ध में कोई कठिनता न हो। इस अनुवाद की अनेक विशेषताएँ हैं। विद्वान् पाठक उनका स्वयं अनुभव करेंगे। हस्ताक्षरित पाद-टिप्पणियों पर और ग्रन्थ के प्रतिपादनो में जहाँ-जहाँ जो प्रश्न चिन्ह कोष्ठक में दिए हैं, उन पर विशेष ध्यान दें। यह रचना, वैदिक साहित्य, टामायण-महाभारत और पुराणों को छोड़ कर, लौकिक संस्कृत साहित्य के क्षेत्र को व्याप्त करती है। विषय-निरूपण की दृष्टि से संस्कृत साहित्य पर अंग्रेजी भाषा में लिखे गये किसी भी ग्रन्थ की दृष्टि से प्रथम बार इस ग्रन्थ में काव्य के साहित्यिक गुणों पर समुचित ध्यान का दिया गया है।
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