Description
स्नातक संस्कृत सरला का भाग-२ आपके हाथों में है इसके भाग-१ को जो लोकप्रियता प्राप्त हुई उसके लिए मैं सभी संस्कृत अध्येता छात्रों, संस्कृतानुरागियों एवं विद्वानों का हृदय से आभारी हूँ। इसके पूर्वभाग में मेरा प्रयास रहा कि यदि कोई छात्र या संस्कृत- अनुरागी संस्कृत का प्रारम्भिक ज्ञान प्राप्त करना चाहता है तो उसे अत्यन्त सरल रूप से संधि, समास और संस्कृत अनुवाद का ज्ञान कराया जाए, साथ ही यह प्रयास उन छात्रों के लिये भी था, जो संस्कृत विषय सीधे बी. ए. कक्षा में ऐच्छिक रूप से ग्रहण करते हैं। संयोगवश राजस्थान बोर्ड, अजमेर की कक्षा १२ तथा मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय की बी.ए., प्रथम वर्ष का पाठ्यक्रम लगभग एक ही होने से वह पुस्तक सभी के लिये उपयोगी सिद्ध हुई। इस पुस्तक का नामकरण हमने इस बार “सुगम संस्कृत व्याकरण” कर दिया है। यह पुस्तक केवल एक पुस्तक लिखना है, इसका परिणाम नहीं है। अपने विद्यार्थीजीवन एवं अध्यापनकाल के लगभग २० वर्षों के संस्कृत व्याकरण विषयक चिन्तन के परिणामस्वरूप मैंने छात्रों की समस्याओं को समझने का प्रयास किया तथा इस विषय में छात्रों पर अनेक प्रयोग भी किए, उनकी सफलता से प्रोत्साहित होकर ही इसे लिखने का साहस जुटा सका।
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