Description
“भारतीय संस्कृति में प्रकृति का अर्थ गूढ़ है और उसका विस्तार अत्यंत विस्तृत है जो अव्यक्त से प्रारम्भ होकर विभिन्न सूक्ष्म परिणामों में आती हुई अन्त में स्थूलतम पदार्थों (पृथिवी, जल, वायु, पेड़, पौधे आदि को प्राप्त होती है। इन्हीं स्थूलतम पदार्थों को पाश्चात्य जगत नेचर (Nature) कहता है। आदरणीय डॉ. शिवकुमार जी ओझा जिन्होंने अपने आशीर्वाद, शुभ कामनाएँ इस पुस्तक में दी है। सर्वप्रथम मैं हृदय से उनका आभार व्यक्त करता है।
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