Description
ब्रज की लोकगाथाएँ (The Millennium Braj Lokgathae) नामक यह प्रकाशन ब्रज की वाचिक-परम्परा का एक प्रतिनिधि किन्तु एक विशाल दुर्लन संग्रह है। अधिकांश गाथाएँ प्रथम बार सुसंपादित रूप में प्रकाश में आ रही है। अज्ञात, अल्पज्ञात और म्रियमाण गाथाओं को वृयोवृद्ध लोक गायकों और लोक गायिकाओं से सुनकर, उदारमना लोकप्रेमियों से संग्रह कर और कुछ अप्राप्य शोध पत्रिकाओं से संकलित कर इस प्रकाशन द्वारा सारस्वत हित में उन्हें नष्ट तथा अप्राप्य होने से बचा लिया गया है। इस एकनिष्ठ गाथा ग्रंथ का पुरातत्वीय तथा अभिलेखीय अवशेषों से कम महत्व नहीं ! इसमें व्रज का लोक-हृदय है, लोक-मानस है। ब्रज की लोकगाथाओं में मंगलगाथा, देवीगाथा, करुणगाथा, भक्तगाथा, धर्मगाथा, प्रेमगाथा, वीरगाथा, चामत्कारिक गाथा क्रम में वर्गीकृत करते हुए एक राष्ट्रीय अस्मिता की पशुगाथा (सुरही) भी दी है। पशुगाथा सुरही सत्य-अहिंसा जैसे मानवमूल्यों की परिचायक एकाकी सशक्त गाथा है।
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