Description
1. पुस्तक में आयुर्वेद का अवतरण (प्राणवाय के रूप में दिया है)। 2. सभी विद्वानों का अकारादिक्रम में वर्णन किया है। 3. जैन विद्वान, यति एवं लेखकों का परिचय। 4. चिकित्सा एवं ग्रन्थों के नाम दिये हैं। आचार्य वैद्य ताराचन्द शर्मा पं. रामदत्त जी शर्मा के सुपुत्र एवं मूल निवासी विसाऊ जिला झुन्झुन (राज.) ने अपना प्रारंभिक अध्ययन समाप्त कर 1960 में जयपुर आ गये। इन्होने स्व. वैद्य मुरारि मिश्र एवं वैद्य रामकृष्ण शर्मा जी के सानिध्य में कर्माभ्यास के साथ आयुर्वेद अध्ययन करते हुए 1967 में जगदम्बा आयुर्वेद कालेज से आयुर्वेदाचार्य उत्र्तीण कर अध्यापन आरम्भ किया। इसके बाद हरियाणा के आयुर्वेद कालेज रोहतक में 1978 तक अध्यापन कार्य किया। 1980 में पटियाला पंजाबी विश्वविद्यालय से एम.डी. आयुर्वेद की उपाधि प्राप्त कर मूलचन्द हास्पिटल में वरिष्ठ अनुसंधान अधिकारी के रूप में नियुक्त होकर पं. हरिदत्त शास्त्री, वैद्य मुकुन्दी लाल द्विवेदी एवं वैद्य शिवकुमार जी मिश्र के निर्देशन में 1995 तक कार्य किया। वहीं आयुर्वेदीय पंचकर्म विज्ञान का निर्माण एवं प्रकाशन कराया। मूलचन्द में आयुर्वेद विश्वकोष के 35 खण्ड तैयार किये। इन्होंने अपने अध्यापन काल से वर्तमान तक आयुर्वेदाचार्य (बी.ए.एम.एस) के पाठ्यक्रमानुसार पदार्थ विज्ञान, द्रव्यगुण विज्ञान, इतिहास व क्रिया शरीर, रचना शरीर, शल्य, शालक्य, अष्टांगहृदय, संस्कृत विषयों पर स्वतंत्र पुस्तकें लिखी एवं समस्त 16 विषयों पर पोडशांग चिकित्सा विज्ञान चार भागों में प्रकाशित किया।
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