Description
डा. सुशीला नैयर को वर्षों बापू के साथ रहने और उनका स्नेह तथा विश्वास पाने का दुर्लभ अवसर मिला था। आगाखां महल के बंदी-काल में भी बापू के साथ थीं। महादेवभाई के देहावसान के बाद बापू ने सुशीला बहन से कहकर प्रतिदिन की छोटी-छोटी घटनाओं की डायरी रखवाई। उन्हीं की बदौलत आज यह पुस्तक पाठकों को सुलभ हो सकी है। पुस्तक बड़ी मूल्यवान है। आजादी के संघर्ष के दिनों का यह एक ऐसा ऐतिहासिक दस्तावेज है, जो आज भी पाठकों को बड़ी प्रेरणा देता है। यह पुस्तक बताती है कि आजादी का मंगल प्रभात लाने के लिए बापू ने कितनी कठोर साधना की थी और उस अनमोल निधि की सुरक्षा का हमारा कितना बड़ा दायित्व है।
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