Description
भारतीय संस्कृति का स्रोत एवं राष्ट्रभाषा हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं की जननी, संस्कृत भाषा का अध्ययन उसके नियमबद्ध व्याकरण की दुरूहता के कारण कठिन हो गया है। तथापि इस तथ्य को तो सभी देश-विदेशी भाषा-विशारदों ने माना है कि संस्कृत भाषा का व्याकरण अत्यन्त वैज्ञानिक एवं सुव्यवस्थित है। निःसन्देह उसके प्राचीन ढंग के अध्ययन तथा अध्यापन से आजकल के सुकुमार बालकों का अपेक्षित बुद्धिविकास नहीं होता और न उन्हें वह रुचिकर ही प्रतीत होता है। इसी कठिनाई को ध्यान में रखते हुए संस्कृत भाषा के अध्ययन एवं अध्यापन को आजकल के वातावरण के अनुकूल सरल तथा सुबोध बनाने का प्रयत्न किया है। संस्कृत भाषा में व्याकरण का जितना सूक्ष्म और विस्तृत अध्ययन है। उतना संसार की किसी भी भाषा में नहीं है। ईसा से 800 वर्ष पूर्व यास्क मुनि ने सर्वप्रथम शब्द निरुक्ति सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ-निरुक्त का निर्माण किया। उन्होंने ही सर्वप्रथम नाम, आख्यात, उपसर्ग और निपात नाम से शब्दों का चतुर्विध विभाजन स्थापित किया। उसी के आधार पर महर्षि पाणिनि ने अपनी अनूठी पुस्तक अष्टाध्यायी का निर्माण किया।
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