Description
प्रस्तुत पुस्तक फलित ज्योतिष के विख्यात ग्रंथ लघुपाराशरी का, जिसे स्वयं मूललेखक ने उड्डुदाय-प्रदीप नाम दिया है, हिन्दी भाषान्तर है। लघुपाराशरी दशा पद्धति का एक अद्भुत वैज्ञानिक ग्रंथ है। उत्तर भारत में इसका फलित ज्योतिष में बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता है। मूल में यह छोटा-सा ग्रंथ है, पर थोडे-से श्लोकों में ही इसमें समस्त कारक-मारक फलादेश का निर्णय कर दिया गया है। इस ग्रंथ की अनेक टीकाएं की गई हैं, पर वे संतोषजनक नहीं हैं-उन टीकाओं पर पुनः टीका की आवश्यकता है। तात्पर्य यह है कि लघुपाराशरी जैसे लोकप्रिय और उपयोगी ग्रंथ का विस्तृत भाष्य न होना फलित ज्योतिष की एक भारी कमी है। इस कमी की पूर्ति के उद्देश्य से विद्वान् लेखक ने अनेकानेक उदाहरण और सारणियां देकर परिश्रमपूर्वक यह टीका प्रस्तुत की है। इसके साथ ही अनेक परिशिष्टों के रूप में ऐसी सामग्री भी समाविष्ट कर दी गई है जिससे विषय को समझने में सहायता मिलती है तथा फलित ज्योतिष सम्बन्धी अनेकानेक जिज्ञासाओं का उत्तर भी मिल जाता है।
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