Description
भारतीय संस्कृति का स्रोत एवं राष्ट्रभाषा हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं की जननी, संस्कृत भाषा का अध्ययन यद्यपि उसके नियमबद्ध व्याकरण की दुरुहता के कारण कठिन हो गया है तथापि इस तथ्य को तो सभी देश-विदेशी भाषा-विशारदों ने स्वीकार किया है कि संस्कृत भाषा का व्याकरण अत्यन्त वैज्ञानिक एवं सुव्यस्थित है। निःसन्देह उसके प्राचीन ढंग के अध्ययन तथा अध्यापन से आजकल के सुकुमार बालकों का अपेक्षित बुद्धिविकास नहीं होता और न उन्हें वह रुचिकर ही प्रतीत होता है। इस कठिनाई को ध्यान में रखते हुए संस्कृत भाषा के अध्ययन एवं अध्यापन को आजकल के वातावरण के अनुकूल सरल तथा सुबोध बनाने का प्रयत्न किया गया है। प्रस्तुत कृति का विषय हैख्रसंस्कृत में अनुवाद कला का प्रशिक्षण। किन्तु अनुवाद का व्याकरण के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध रहता है। अतः संस्कृत अनुवाद-कला के इस ग्रन्थ में संस्कृत व्याकरण के सभी अनुवादोपयोगी नियम भी आ गये हैं। इस कृति में शब्दरूप, कारक, क्रियारूप, समास, तद्धित, कृदन्त आदि व्याकरण के में प्रकरणों का सरल और सुगम बोध कराया गया है और इन्हीं प्रकरणों के साथ कई अभ्यास जोड़ दिये हैं जो अनुवादकला के शिक्षण में अत्यन्त उपयोगी हैं। इन अभ्यासों की सहायक टिप्पणियां भी अभ्यास वाले पृष्ठ के नीचे छाप दी गई हैं। इसके अशुद्धिसंशोधन, लोकोक्तिसंग्रह, संस्कृत के व्यावहारिक शब्द, निबन्चरचना, परीक्षा प्रश्न-पत्र आदि प्रकरण अनुवाद के लिए अत्यन्त उपयोगी हैं।
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